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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 38

ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 38

            दीपक का तिलक

अब तक आपने पढ़ा न्यूज़पेपर में आर्टिकल देखने के बाद से अरमान और निर्जला अपनी-अपनी सोच में डूब जाते हैं वहीं दूसरी तरफ पटना में ज्योति के भाई के तिलक की तैयारियां हो चुकी थी ज्योति अपने कमरे में तैयार होने चली जाती है यश उसे ढूंढता हुआ जैसे ही उसके कमरे में आता है सामने का नजारा देख शौक हो जाता है

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"अब आगे"

यश ज्योति को ढूंढता हुआ उसके कमरे में आ जाता है और जैसे ही कमरे का दरवाजा खोलता है उसके सामने ज्योति की खूबसूरत पीठ थी....ज्योति अपनी ब्लाउज डोरी बांधने की कोशिश कर रही थी जो उससे बन नहीं रहा था......यश जल्दी से पीछे मुड़ जाता है और अपनी आंखे तेज बंद करते हुए कहता है "आई एम सॉरी मुझे मालूम नहीं था"

यश की आवाज सुन ज्योति पीछे पलटती है तो देखती है यश पीछे मुड़कर खड़ा था ज्योति अपना दुपट्टा उठाते हुए कहती है "तुम्मे  इतने भी मैनर्स नहीं है क्या...कि किसी भी लड़की के कमरे में जाने से पहले एक बार नॉक कर लेना चाहिए"

यश माफी मांगते हुए कहता है "देखो वह तुम्हारे भइया तुम्हें ढूंढ रहे थे...मैं बस इसीलिए तुम्हें ढूंढता हूं यहां आ गया था... मेरा ऐसा कोई इरादा नही था...लेकिन यह तुम्हारी भी गलती है तुम्हें दरवाजा बंद रखना चाहिए"
ज्योति चिढ़ते हुए कहती है "एक तो गलती तुम्हारी और ऊपर से तुम मुझे सुना रहे हो शर्म नहीं आती है"

ज्योति की शरम ना आने वाली बात सुनकर यश को बहुत गुस्सा आता है यश गुस्से में ज्योति की तरफ मुड़ता है और उसकी तरफ बढ़ते हुए कहता है "एक तो तुमने कमरे का दरवाजा खुला रखा है और दूसरा तुम यह बैकलेस गले वाला ब्लाउज पहनकर वह भी बिना दुपट्टे के  घूम रही हो और शर्म मुझे नहीं आती"

यश को अपनी तरफ आता देख ज्योति पीछे हटते हुए कहती है "देखो त...तू....तुम अ..अप..अपनी हद पार कर रहे हो मैं कह रही हूं तुमसे जाओ यहां से"

यश उसे घूरते हुए कहता है "हद मै पार कर रहा हूँ...मैने अगर अपनी हद पार की ना" 
यश अपनी बात आधी छोड़ देता है और ज्योति का हाथ पकड़ कर  उसे पलटते हुए कहता है "मेरी नियत हर किसी पर खराब नहीं होती"
 इतना कहते हुए यश उसके ब्लाउज की डोरी बांध देता है और थोड़ी दूर खड़ा हो जाता है
और मिरर  में ज्योति को देखते हुए कहता है "तुम्हें पता मुझे अपनी जिंदगी में सफेद रंग कभी नहीं भाया लेकिन आज पहली बार किसी को सफेद रंग में देख....सफेद रंग से मोहब्बत हो गई है"

इतना कह कर यश उस कमरे से बाहर चला जाता है ज्योति कुछ देर खुद को आईने में देखती हैं और मुस्कुराती हुई वहां से निकल जाती है

ज्योति अपने भाई के कमरे में जैसे ही आती है वहाँ अपने छोटे भाई को देख उसके गले लगते हुए केहती "और छोटे कैसा है कब आया"
अंकित कहता है "तु मुझे छोटा कह रही है कमसेकम अपनी हाइट तो देख ले"

ज्योति इतराते हुए केहती है "तो.. तो क्या हुआ उम्र और पोस्ट मे तो मै बड़ी हूँ ना" 
ज्योति की बात सुन अंकित उसे घूरने लगता है.. दीपक दोनो को शांत करवाते हुए कहता है "अच्छा अच्छा ठीक है शांत हो जाओ दोनो" फिर दीपक ज्योति की तरफ मुड़ते हुए कहता है "कहां थी कब से ढूंढ रहा हूं" ज्योति माफी मांगते भी कहती है "सॉरी भइया वो बुआ जी को तो आप जानते ही हो...कोई बात नहीं बताओ क्या काम है"
 दीपक परेशान होते हुए कहता है "मेरे सॉक्स नहीं मिल रहे" ज्योति कहती है "अच्छा ठीक है आप बैठो मैं देखती हूं"
ज्योति अपने भाई के तैयार होने में मदद करने लगती है

थोड़ी देर बाद बाहर से लोगों की आवाज आने लगती है ज्योति अपने भाई से कहती है "भइया आप वेट करो मैं आती हूं" फिर अंकित से केहती है "सुन छोटे भइया के साथ रहना" इतना कह कर ज्योति भागते हुए बाहर निकल जाती है 

ज्योति जैसे ही बाहर आती है सामने उसे अरमान और आर्या मिल जाते हैं....उन दोनों को वहां देख ज्योति उनकी तरफ बढ़ जाती है ज्योति को देख अरमान जैसे ही...सैल्यूट करने वाला होता है 

ज्योति उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है "हम यहां यूनिट में नहीं है यहां हम सिर्फ दोस्त हैं....और अगर तुम्हें फिर भी ड्यूटी करनी है तो बता दो...कोई काम ही बता देती हूं"

 अरमान हाथ हिलाते हुए कहता है "अरे नहीं-नहीं ऐसा मत करना कम से कम एक दिन तो इंजॉय करने दो" उसके बात पर ज्योति और  आर्या हंस देते हैं 
ज्योति कहती है "अच्छा ठीक है  एक काम करो तुम दोनों बड़े भाई के कमरे में जाओ और जब तक मैं ना बोलूं उन्हें लेकर मत आना"

आर्या कहता है "जो हुकुम बॉस" ज्योति फिर कहती है "अच्छा तुम दोनों ने कुछ खाया"
आर्या मुंह बनाते हुए कहता है "अरे कहां....तुम्हारे यहाँ हमे कोई खाने के लिए भी नहीं पूछता" उसकी बात पर ज्योति सर हिलाते हुए कहती है "अच्छा ठीक है तुम लोग चलो मैं कुछ भिजवाती हूँ"

थोड़ी देर बाद तिलक की रस्में शुरू हो जाती हैं सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे पंडित जी पूजा करवा रहे थे दीपक भी बैठा था राजेश जी भी उसके साथ ही बैठे थे वहीं थोड़ी दूर पर उमा जी बैठे अपने बेटे को देख रही थी

लेकिन दो लोगों की आंखें सिर्फ ज्योति पर टिकी थी.... आर्या और यश दोनों की नज़रें आज सिर्फ ज्योति पर टिकी थी आखिर हो भी क्यों ना ज्योति लग ही इतनी प्यारी रही थी....सफेद कलर का लहंगा हाथों में सफेद चूड़ियां और खुले बाल आज वह किसी परी से कम नहीं लग रही थी

सारी रस्में होते-होते रात के 12:00 बज गए थे सारे मेहमानों के जाने के बाद ज्योति सब को खाना खिलाती है और सब को रेस्ट करने के लिए कह कर खुद सामान समेटने लगती है ज्योति जैसे ही किचन में आती है किचन का हाल देख सर पिट  लेती है

उसे अब बहुत रोना आ रहा था तभी पीछे से अरमान कहता है "वैसे आज रात मैं यहीं रुक रहा हूं"
तभी आर्या कहता है "और मैं भी"
 अरमान और आर्या दोनों एक साथ कहते हैं "दुश्मनों की सफाई तो हमेशा एक साथ की है....आज एक साथ किचन की सफाई भी कर लेते हैं"
 उन दोनों की बात सुन ज्योति हंसते हुए कहती है "तुम दोनों को सच में लगता है....कि तुम लोग यह कर सकते हो" अरमान अपनी शर्ट की बाजू फोल्ड करते हुए कहता है..."तुम बस इंस्ट्रक्शंस दो उसके बाद देखो कैसा कमाल करते हैं"
 ज्योति अपना दुपट्टा अपनी कमर में बांधती है और कहती है "ओके ऑफिसर्स दैन अटैक"

वो तीनों बातें करते हुए सफाई करने लगते हैं पहले किचन फिर आंगन सारी साफ सफाई करते हुए उन तीनों को करीब 3:00 बज जाते हैं ज्योति किचन और पूरे घर को देखते हुए कहती है "नोट बैड ऑफिसर्स....मुझे लगा नहीं था कि इंसान के साथ साथ तुम दोनों घर की सफाई भी इतनी अच्छी कर लेते हो...कोई बात नहीं मैं तुम दोनों की बीवियों से कह दूंगी कि घर की सफाई तुमसे ही करवाये"

 इतना कहकर ज्योति हंसने लगती है अरमान मुह बनाते हुए कहता है " तुम क्या चाहती हो हम जिंदगी भर घर की सफाई करें" ज्योति वहां से जाते हुए कहती है "वैसे आईडिया बुरा नहीं है"
 तभी अरमान पीछे से कहता है "मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी" ज्योति कुछ पल अरमान को देखती है फिर कुछ सोचते हुए कहती हैं "मेरे कमरे में"...इतना कह कर ज्योति अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है

और उसी के पीछे आर्या और अरमान भी.. 

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आज कोई सवाल नहीं आज मैं आप सबको एक चीज बताती हूं....जो लोग बिहार के नहीं है उन्हे नही मालूम होगा की तिलक क्या होता है....बिहार में शादी से कुछ दिन पहले जितनी आपकी इच्छा होती है और पंडित जी की मर्जी उतने दिन पहले  तिलक की रसम होती है जिसमें लड़की के घरवाले लड़के के घर गिफ्ट्स लेकर आते हैं आप उसे गिफ्ट कह सकते हैं या फिर दहेज आपकी मर्जी क्योंकि इस गिफ्ट में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स जैसे फ्रिज एसी और घर में इस्तेमाल होने वाली सारी चीजें मौजूद होती हैं और जो भी सामान लड़की वाले अपनी बेटी को देना चाहे... 

 उस सामान पर पंडित जी कुछ मंत्र पढ़कर कलर किए हुए चावल फेंकते हैं और लड़के को बिठाकर उससे पूजा करवाई जाती है.. बस इतना ही होता है

आज का एपिसोड आपको कैसा लगा बताना ना भूलें मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए 

    ...........बाय बाय........

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4 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:15 AM

Beautiful part

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:04 PM

Nice 👍🏼

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:01 PM

Nice part 👌

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